Saturday 18 February 2017

ईश्वर वाणी-१९९, प्रत्येक योनि में सात बार जन्म जीवात्मा लेती है

ईश्वर कहते है, ''हे मनुष्यो यूँ तो तुमने सुना ही होगा कई मतानुसार व्यक्ति पुनःजन्म में विश्वाश करते है, मनुष्यों को अपने बुरे कर्म करने पर नीच योनि जैसे-कीड़े, मकोड़े, जानवर, पक्षी में जन्म लेना पड़ता है तत्पश्चात पुनः मानव जीवन प्राप्त कर उद्धार पाता है।

हे मनुष्यों निम्न  मान्यता के अनुसार जीवात्मा 84 लाख योनियों में भटकने के बाद मनुष्य जन्म पाती है। 84 लाख योनियां निम्नानुसार मानी गई हैं।
* पानी के जीव-जंतु - 9 लाख
* पेड़-पौधे - 20 लाख
* कीड़े-मकौड़े - 11 लाख
* पक्षी - 10 लाख
* पशु - 30 लाख
* देवता, मनुष्य, भूत, पिशाच, प्रेत, चुड़ैल, डाकिनी-शाकिनी इत्यादि - 4 लाख।

हे मनुष्यों प्रत्येक योनि में जीव आत्मा को सात बार जनम लेना पड़ता है, किंतु ये जन्म एक ही योनि में तुरंत नही मिलता, जैसे आज तुम मनुष्य हो तो सात बार मनुष्य बन कर जन्म लोगे किंतु इस जन्म के तुरन्त बाद नही अपितु अपने कर्म फल भोगने के बाद तुम्हे नई देह तुम्हारे कर्म के अनुसार मिलेगी वो तुम्हारे कर्म पर निर्भर है जैसे तुमने यदि छल किया पिछले जन्म में तो इस जन्म में कुत्ते का जन्म होगा ताकि प्रायश्चित रूप में वफादार बनो।

इसी प्रकार हर योनि में सभी जीव आत्मा को सात बार जन्म लेंना पड़ता है किंतु जो आत्मा भूत, पिसाच, प्रेत, चुड़ैल, डाकिनी-शाकिनी जैसी योनियो में भटक रहे है उनकी आयु यदि एक लाख वर्ष पूर्व अर्थात जो इनकी वास्तविक पूर्ण आयु है इससे पहले इससे मुक्त हो जाते है तब भी पुनः इन्हें निश्चित योनियो में भटकने के बाद इसमें आना पड़ता है किन्तु यदि इन्होंने आत्मा की पूर्ण आयु अर्थात एक लाख साल पुरे करने के बाद कही जन्म लिया है तब इन्हें भूत, प्रेत, पिसाच, चुड़ैल, डाकिनी-शाकिनी जैसी अति नीच योनि में जन्म नही लेना पड़ता।

हे मनुष्यों किंतु तुम जो सुख या दुःख इस जीवन में पाते हो वो इस जीवन के कर्म से नही अपितु अनेक जीवन के कर्म से पाते हो किन्तु यदि पाप इस जीवन में करते हो तो अनेक योनियो में अर्जित पुण्य फल में कमी करते हो और अपने लिये खुद ही नीच योनि को प्राप्त करने का मार्ग प्रसस्त करते हो।"

कल्याण हो


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