Wednesday 22 February 2017

कविता-गुज़रे वो पल

फिर वही दोस्त पुराने बहुत याद आते है
फिर अतीत के ज़माने बहुत याद आते है
हर गम से दूर यूँ खिलखिला कर हसना
गुज़रे वो हँसी तराने बहुत याद आते हैं


सपने थे आँखों में तब भविष्य को लेकर
पर नादान थे कितने ख्वाबो को लेकर
ज़िन्दगी थी न आसान जितना समझते थे
बेपरवाह थे शायद तब हर दिन को लेकर


काश वक्त का पहिया पीछे लौट जाता
बिछडा मेरा दोस्त फिर मेरे पास आता
गले लगा यूँ उसे दुनिया फिर भुला देते
काश भूला अतीत फिर आज हो जाता


ज़िन्दगी के फिर वही ज़माने याद आते है
तेरे लिये गाये हर वो गाने याद आते है
तेरे संग जो देखे थे सपने ऐ दोस्त मेरे
जीवन की राहों में वो बहाने याद आते है


फिर वही दोस्त पुराने बहुत याद आते है
फिर अतीत के ज़माने बहुत याद आते है
हर गम से दूर यूँ खिलखिला कर हसना
गुज़रे वो हँसी तराने बहुत याद आते हैं

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