Monday 6 February 2017

गीत-शीशा समझ कर

"शीशा समझ कर दिल मेरा वो तोड़ गया
गम और आँसू ही मुझे वो आज दे गया

वफ़ा की सजा दी मुझे उस हर्जाइ ने ऐसे
कितना आज यूँ तनहा मुझे वो छोड़ गया

रुलाया सताया हमेशा तूने उमर भर मुझे 
तेरी बेवफाई की बता क्या सजा  दू तुझे

मोहब्बत की झूठी दुनिया दिखाई तुने मुझे
मझधार में इश्क के क्यू यूँ छोड़ गया तू मुझे

तुझे पा कर मैंने तो पाया था अपने रब को
तुझे दिल में बसा कर पाया था सभी कुछ तो

तू ही तो रब था मेरा तू ही तो था खुदा
दिल मेरा तोड़ कर आखिर तुझे क्या मिला

तू आज खुश है उस गैर को अपना बना कर
भूल चूका मेरी मोहब्बत एक सपना बता कर

आखिर ऐसे क्यों मुझसे तू मुँह मोड़ गया
शीशा समझ कर दिल मेरा वो तोड़ गया

ज़माने में एक तमाशा मेरी आशिकी का बना
जज़्बातों से खेल अकेला मुझे वो  छोड़ गया

शीशा समझ कर दिल मेरा वो तोड़ गया
गम और आँसू ही मुझे वो आज दे गया-2"

No comments:

Post a Comment