वो रिश्ता ही क्या जो एक पल में टूट जाए, वो वादा ही
क्या जो निभाया ना जाए, वो मोहब्बत ही क्या जो अधूरी रह जाए,
वो ज़िन्दगी ही
क्या जिसमे मजबूरी ना आये, वो महबूब ही क्या जिसकी पलकों में अश्क न आये,
वो चाहत की क्या जिसे कोई पचान ना पाए, वो रात ही क्या जिसके बाद कोई सवेरा
ना आये,
वो दिन ही क्या जिसमे शाम ना आये,
वो ख़ुशी ही क्या जिसमे कोई गम
ना आये, वो दिया ही क्या जिसमे बाती ना जल पाए, वो चिराग ही क्या जो
रौशनी ना दे पाए,
वो घर ही क्या जिसमे परिवार ना रह पाए, वो इंसान ही क्या
जो किसी के ज़ज्बात ना समझ पाए,
वो वक्त की क्या जिसमे किसी की याद ना आये,
वो आशिकी ही क्या जिसमे कोई कमी कही रह जाए,
वो दिल ही क्या जिसमे धड़कन ना
आये, वो सांस ही क्या जिसमे कोई आस ना रह जाए, वो प्यार ही क्या जो मझधार
में छोड़ जाए, वो रिश्ता ही क्या जो एक पल में टूट जाए…
वाह क्या बात है बहुत ही सुन्दर लेख
ReplyDeleteshukriya Darshan
DeleteSuper Like...
ReplyDeleteThanks Rani Ji
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